
आजाद हुए चंद साल हुए
कुछ लोग मालामाल तो कुछ लोग यहां बे- हाल हए,
आजाद हुए कुछ अरमां जागे,
किसको पता था इतने होंगे आभागे।
जनसंख्या की बाढ़ सी आई,
समस्याओं का सैलाब लाई।
आजादी के जैसे साल बड़े
खोटे सिक्के जाली नोट बड़े।
शहर- शहर में अफरातफरी
फिर भी नेताओं के वोट बढ़े।
आजादी मिली अधिकार बड़े,
राज्य तहसील और जनपद बड़े,
रोजगार विकास के नाम पर
भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार बड़े।
राजनीति की शान घटी,
राजनेता दक-दल में धंसे,
टोपी और कुर्ते के दम पर,
कुछ लोग यहां कुख्यात हुए।
आजादी के साल बड़े
लोकतंत्र में वोट बड़े,
जिनको चुनकर भेजा दिल्ली
वो आस्तीन के सांप निकले।
ज्यों-ज्यो आजादी के साल बढ़े,
बेरोजगारी,भुखमरी और बीमार बड़े,
लुटती रही नारी की इज्जत,
कोई,आशा राम,कोई कुलदीप सेंगर बने।
आजाद हुए चंद साल हुए,
कुछ लोग चैन की नींद सोये,
सो न सके जो कभी धरा पर,
अमर शहीद वो जवान हुए।
कुछ लोग माला-माल तो,
कुछ लोग यहाँ बे-हाल हुए।
आजादी के साल बड़े,
घर-घर के हालात बदले,
विश्व पटल पर उगता भारत ,
चीन,पाक के होश उड़े।।