
भारत के जलते प्रश्न और उसके समाधान के लिए ओशो कहते हैं –अगर इस देश को अमीर होना है तो राजनीतिक व्यवस्था बदलने से नहीं होगा. इस मुल्क की यांत्रिक व्यवस्था बदलने से ही यह मुल्क संपत्ति पैदा कर पाएगा. और कोई उपाय नहीं है. तो इस मुल्कों को दो बातें करनी जरूरी है .एक तो हम जितनी शीघ्रता से, जितनी शक्ति लगाकर मुल्कों को यांत्रिक क्रांति से गुजार सकें. एक टेक्नोलॉजिकल रिवॉल्यूशन से गुजारे. लेकिन कौन गुजारे ?मुल्क का नेता मुल्क को सोशलिस्ट रिवॉल्यूशन से गुजार रहा है .वह साम्राज्यवादी क्रांति से गुजार रहा है. मुल्क के धर्मगुरु रामराज्य की क्रांति से गुजार रहे हैं और मुल्क में लड़के मुल्कों को उपद्रव में डाल रहे हैं .उनका उपद्रव ही उनकी क्रांति है.
नेता को मतलब है चुनाव से ,वह समाजवादी क्रांति की बातें कर रहा है. साधु को मतलब अपने महंत के पद से. शंकराचार्य को मतलब है अपने पीठ से. वे अपने रामराज्य ,गीता, रामायण की बातें दोहराये चले जा रहे हैं. लड़कों को कुछ मतलब नहीं अपनी चीज से. उन्हें कोई आशा भी नहीं दिखती भविष्य में. वे उपद्रव करने में लगे हुए हैं, उनके उपद्रव का कोई भी नाम हो . वे उपद्रव करने में लगे हुए हैं .
इस मुल्क को औद्योगिक क्रांति से कौन गुजारे ?जो गुजार सकता है उसके हम सब खिलाफ हैं. इस मुल्क में जो थोड़ा-बहुत उद्योग लाया गया है, वह इस मुल्क के पूंजीपतियों ने लाया है. जो इस मुल्क को पूंजीपति और बड़ी औद्योगिक क्रांति से गुजार सकता है उसको मिटाने में लगे हैं. हम इस कोशिश में हैं कि वह बिल्कुल न बचे.तब इस मुल्क में शिवाय दुर्भाग्य के कुछ भी नहीं बचेगा.इस मुल्क के पूंजीपतियों को राजी करना पड़ेगा.इस मुल्क को औद्योगिक क्रांति में प्रवेश करवाने के लिए उनकी शक्तियों का उपयोग करना पड़ेगा. लेकिन अभी हम न कर पाएंगे, क्योंकि हम दुश्मन की तरह खड़े हो गए है– पूंजीपति को हम मिटाना है.और अगर पूंजीपति एक लाख कमाये तो उस पर टैक्स लगेगा.दो लाख कमाए तो और ज्यादा लगेगा, तीन लाख तो और ज्यादा लगेगा, 5 लाख कमाए तो जितना कमाये उतना टैक्स लग जायेगा. 10 लाख कमाये तो बेकार मेहनत कर रहा है. तो पूंजीपति किसलिए मेहनत करें ?
हिंदुस्तान के सामने दो सवाल है कि वह जल्दी से जल्दी औद्योगिक और टेक्नोलॉजिकल क्रांति से गुजर जाए, और जल्दी से जल्दी बच्चों के दरवाजे पर लोग लगाए .और बच्चों को न आने दें .अन्यथा खतरा है. खतरा यह है कि अगर बच्चे बहुत बड़ी तादात में आए तो या तो हमें मृत्यु दर फिर से बढ़ाने के लिए कृत्रिम साधन खोलने पड़े, क्योंकि बहुत दुखद मालूम पड़ता है किन्हीं जिंदा लोगों को मरने के लिए राजी करना पड़े. और दूसरा उपाय महामारी को हमें सुविधा देनी पड़े .
भारत की ज्वलन्त समस्याएं और उनके समाधान के लिए ध्यान गुरु ओशो ने बढ़ी गम्भीरता से भारत को आगाह किया है.उनका कहना है कि भारत को गरीबी मुक्त,बेरोजगारी मुक्त करना है तो देश मे औद्योगिक क्रांति और टेक्नोलॉजी क्रांति लानी पड़ेंगी, हमको वैदिक काल की तरफ नहीं चाँद और मंगल की तरफ देखना होगा.ओशो आगे कहते हैं कि सिर्फ प्राचीन गौरव गाथा का ही गुणगान कर हम पश्चिमी विकसित देशों के साथ मुकाबला नहीं कर सकते हैं.रुढ़िवादिता,अंधविस्वास,और जातीयता पर गर्व करना त्यागना होगा ,तभी 21वीं सदी के भोर में नए भारत का उदय हो सकता है.
ओशो के विचारों की आज भारत को जरूरत है. क्योंकि विज्ञान के विकास के बिना देश का विकास सम्भव नहीं है.और समाज से कुरीतियां, असमानता,भेदभाव को मिटाए बिना समाज का विकास भी सम्भव नहीं है।इसलिए आज जब देश के युवा भीड़तंत्र का हिस्सा बन कर हिंसा फैला रहे हैं,देश में अराजकता पैदा कर रहे है,नेता सफेद पोषाक में काली करतूतों में लिप्त हैं,ऐसे में आज देश को ओशो के विचारों और ध्यान की जरूरत है।तभी देश मे नई क्रांति लायी जा सकती है.ऐसे ही हजारों भारत के जलते प्रश्न हैं देश के सामने, जिनको सिर्फ राजनीति से ही नहीं वरन सामाजिक क्रांति और जागरूकता से हल किया जा सकता है।
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