Home सम्पादकीय छुपकर कोई जाएगा कहाँसम्पादकीयछुपकर कोई जाएगा कहाँBy Ip human - 21 September 20191050ShareFacebook Twitter Pinterest WhatsApp Linkedin Telegram छुपकर कोई जाएगा कहाँ,जब हर शहर में मौत है यहाँ।सोचता हूँ—पाती बनकर हरियाली में समा जाऊं।मगर–हरियाली भी सदा रहती है कहाँ ,जब हर पेड़ पर पतझड़ है यहां।।सोचता हूँ–काजल बनकर किसी के नयनों में समा जाऊं।काजल भी सदा रहता है कहाँ जबहर आँखों में आँसू है यहाँ।छुपकर कोई जाएगा कहाँ ,कदम-कदम पर कातिल छुपा है यहाँ।सोचता हूँ—-प्यार बनकर ,किसी के दिल में समा जाऊं।प्यार भी मगर, सदा रहता है कहाँ,जब मुहब्बत में भी जुदाई है यहाँ।सोचता हूँ–धड़कने बनकर किसी के ह्रदय में छुप जाऊं,मगर–धड़कनें भी सदा रहती हैं कहाँ ,जब खुद सांसें भी साथ छोड़ देती हैं यहाँ।सोचता हूँ——–?Iphuman B.misRELATED ARTICLESMORE FROM AUTHORगुरु नानक देव:कैसा यज्ञोपवीत चाहते थे? क्यों नहीं पहना जनेऊ ?जानें 2 Big रोचक तथ्यसंविधान दिवस क्यों मनाएं? जब संविधान ही खतरे में है:जानें 10 big factsक्या है लव जिहाद की Hate स्टोरी ?जानें लव जिहाद के 2 सचLEAVE A REPLY Cancel replyPlease enter your comment! Please enter your name here You have entered an incorrect email address!Please enter your email address here Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. POPULAR CATEGORIESसम्पादकीय19Posts19राजनीति8साहित्य6opnion5टेक्नोलॉजी3Must Readऐसे कैसे फिट रहेगा इंडिया:स्वास्थ्य सेवाएं खुद बीमार Ip human - 5 October 2019 0सफलता का रहस्य क्या है?जानें जीत के 5 big तरीके:(What is the secret of... Ip human - 11 December 2020 0बहुजन आंदोलन के नायक कांशीराम:2 big dreams जो पूरे न हो सके: Ip human - 2 September 2020 0दीपावली की प्रासंगिकताऔर आधुनिक स्वरूप Ip human - 25 October 2019 014 सितंबर हिंदी दिवस:क्या हिंदी बन पाएगी एक राष्ट्र एक भाषा? Ip human - 12 September 2019 0- Advertisement -