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भारत के संविधान के उद्देश्य से दूर होता लोकतंत्र:जानें 5 Big फैक्ट्स

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संविधान क्या है ?What is Constitution)

संविधान (Constitution) किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र की राजनीतिक व्यवस्था को लोककल्याणकारी राज्य बनाने का एक आदर्श ढांचा होता है.भारत के संविधान को संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था.भारत का संविधान लंबी यात्र तय करके अपने वर्तमान स्वरूप तक पहुंचा है.संविधान सेे ही राष्ट्र की विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की स्थापना हुई है.

भारत के संविधान  के प्रतीक
Constitution of India

संविधान का विकास (Development of constitution):

भारत के संविधान को अपने वर्तमान स्वरूप को पाने के किये एक लंबी यात्रा तय करनी पड़ी है.कंपनी राज से लेकर ब्रिटिश शासन काल तक समय -समय पर कुछ न कुछ अधिनियम और कानून बनाये गए थे.इन कानूनों को जबरन हिंदुस्तानियों पर थोप दिया जाता था.ब्रिटिश शासन का मुख्य उद्देश्य भारत में शासन करने से ज्यादा यहां  की संपदाओं का दोहन करना था.और भारतवासियों को अपने लिए कामगार बनाने का था.1857 की क्रांति के बाद धीरे-धीरे अंग्रेजों को भारत के लोगों की मनसा का अंदाजा हो गया था.

1857 की क्रांति के 90 वर्ष बाद भारत स्वतन्त्र हो गया.और 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हो गया.भारत के संविधान को भारत के लोगों ने भारत के लोगों के लिए 2 वर्ष 11 माह 18 दिन के कठिन परिश्रम के बाद तैयार किया .विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के संविधान के ड्राफ्ट को बनाने की जिम्मेदारी डॉ भीमराव अंबेडकर के कंधों पर थी.उन्होंने दुनियाँ के लगभग 60 लोकतांत्रिक देशों के संविधान का अध्धयन किया,और जो जन कल्याणकारी बातें उनको अन्य मुल्कों के संविधान में मिली उनको भारत के संविधान में जगह दी.जानते हैं संविधान का क्रमिक विकास किस तरह हुवा.

  1. 1600 ईस्वी से 1765 तक :-इस कालक्रम में ब्रिटिश व्यापरियों ने भारत में एक कम्पनी स्थापित की जो “ईस्ट इंडिया कंपनी”के नाम से मशहूर हुई.ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापन ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के राजलेख (charter) द्वारा हुई .इसको ‘1600ई0 का राजलेख’कहा जाता है.
  2. 1765 से 1858 (भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना):इस काल खण्ड में निम्न संवैधानिक बदलाव हुए.

रेगुलेटिंग एक्ट 1773:

इस एक्ट के द्वारा भारत में कम्पनी के शासन के लिए पहली बार एक लिखित संविधान तैयार किया गया.

सन 1833 w0का चार्टर एक्ट:

इस एक्ट का निर्माण ईस्ट इंडिया कम्पनी का अंत करने और देश में केंद्रीय शासन -प्रणाली प्रारम्भ करने के लिए बनाया गया था.इस राजलेख से भारत में संविधान निर्माण के हल्के धुँधले संकेत मिलते हैं इस एक्ट की अहम बात यह है कि बंगाल के गवर्नर जनरल को संपूर्ण भार का गवर्नर जनरल बना दिया गया.

भारतीय परिषद एक्ट,1861:

इस एक्ट का भारत के संवैधानिक इतिहास में अहम महत्व है.इस एक्ट की 2 प्रमुख बातें थी:-

1-भारतीय परिषद एक्ट 1861 द्वारा गवर्नर जनरल को अपनी कौंसिल में भारतीय जनता के प्रतिनिधियों को नामजद करने का अधिकार मिल गया.

भारत के संविधान की विशेषताएं:

भारत का संविधान जितना विस्तृत है उतना ही जन कल्याणकारी भी है.संविधान ने सारी रूढ़ियों और अंधविश्वास को दरकिनार करते हुए व्यक्ति को वैज्ञानिक सोच विकसित कर देश के पुनर्निर्माण में सहयोग की बात लिखी है.जानते हैं संविधान की प्रमुख विषताओं क्या-क्या हैं.

संविधान का आकार:

भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है .भारत के संविधान में संघ के संविधान के साथ-साथ राज्यों का संविधान भी सम्मिलित है.भारत के भौगोलिक संरचना,सामाजिक व्यवस्था की जटिलताओं तथा विविधताओं के कारण देश के कतिपय क्षेत्रों या जनता के वर्गों के लिए अनेक विशेष, अस्थायी,संक्रमणकालीन और विविध उपबंध के कारण भी इसका आकार बड़ा है.

लिखित संविधान:

भारत का संविधान लिखित संविधान है.यह किसी देश के लिखित संविधान से सबसे लंबा संविधान है.

परिसंघीय तथा एकात्मक :

संविधानों को परिसंघीय तथा एकात्मक में भी विभाजित किया जाता है.इंग्लैंड का संविधान एकात्मक जबकि अमेरिका का संविधान परिसंघीय श्रेणी में आता है .अब सवाल उठता है कि हमारा संविधान कैसा है,इसका जबाब होगा दोनों प्रकार का.

जानें भारत के संविधान के उद्देश्य:

संविधान का प्रमुख उद्देश्य देश के नागरिकों को उनके अधिकार प्रदान करना है.ये अधिकार निम्न श्रेणियों में बांटे गए हैं.

न्याय (Justice):

भारत का संविधान भारत की जनता को 3 प्रकार के न्याय की समानता प्रदान करता है.न्याय (justice)संविधान का मुख्य उद्देश्यों में एक है.

सामाजिक न्याय:

भारत के संविधान निर्माताओं ने भारत की सामाजिक व्यवस्था को अच्छी तरह भांप लिया था.इसलिए संविधान की उद्देशिका की शुरुआत ही “हम भारत के लोग”से की गई है.कानून और संविधान की नजरों में सब समान हैं धर्म,जाति, लिंग और सम्प्रदाय के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा.सबके साथ एक जैसा व्यवहार और न्याय किया जाएगा.सबको समान अवसर प्रदान किये जायेंगे.समाज की गैरबराबरी को मिटाने के लिए संविधान में कई अनुच्छेद जोड़े गए हैं.अनुच्छेद 16 अवसर की समानता को व्यक्त करता है.

डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा है-“सामाजिक न्याय के बिना राजनीतिक और आर्थिक न्याय बेमानी होगी”

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आर्थिक न्या(Economic justice):

आर्थिक विषमता, समाज में असमानता का मुख्य कारण है.लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए संविधान निर्माताओं सभी वर्गों को सामाजिक और आर्थिक बराबरी के प्राविधान संविधान में रखे हैं.लेकिन आज देश में अमीरी और गरीबी की खाई धरती और आसमान के बराबर हो चुकी हैं.

Ip human

I am I.P.Human My education is m.sc.physics and PGDJMC I am from Uttarakhand. I am a small blogger

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