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साथियो आज का आर्टीकल देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर है.वैसे तो मैं कोई ब्रांड अम्बेसडर नहीं हूं.मगर जिस तरह से लगातार यूपी और अन्य प्रदेशों में बेटियों के साथ दरिंदगी और अत्याचार हो रहे हैं,चुप रहा नहीं जा सकता है.हाथरस की ताजा घटनाक्रम से आप वाजिब ही हैं . जहाँ एक मासूम को कितनी क्रूरता से मौत के घाट उतार दिया गया.यहां मै हाथरस की घटना को इसलिए उद्धरित कर रहा हूँ कि इस घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं.जिनका उत्तर अंत मे जरूर बताउंगा.

कब शुरू हुवा ये नाटक?
देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ भारत सरकार द्वारा चलाया गया अभियान है.इसकी शुरुआत 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने की है.मुझे लगता है जब से ये योजना लागू की गई है,तब से देश में बेटियों को बचाने की चुनौती वास्तव में खड़ी हो गयी है.ऐसा लगता है बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नाटक सिर्फ एक पोलिटिकल ड्रामा है .
क्या देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एक नाटक है?
जिस तरह दिन-प्रतिदिन बेटियों और महिलाओं पर जुल्म और अत्याचार हो रहे हैं,बलात्कार जो अब देश की कुसभ्यता जैसी बन गयी है,ऐसे में क्या आपको देश में बेटो बचाओ के नारे और भाषण एक नाटक जैसा प्रतीक नहीं होता है?आखिर बेटियां यूं ही कब तक जलाई जाती रहेंगी.
भारत की नारी सदियों से उपभोग की वस्तु मानी गयी है.आप महाभारत को देख लीजिए किस तरह भरी सभा में द्रोपदी का चीरहरण होता है ,उसको जुवे में दांव पर लगाया जाता है .और द्रोपदी पांडवों के पाँच भाइयों की पत्नी के रूप में रही.जिसको आप और हम शतयुग कहते हैं और रामराज्य कहते हैं,उस युग में भी खुद सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा.साथियो जरा सोचो जब श्री राम जी को सीता का परित्याग करना ही था तो लंका के राज्य को क्यों भष्म कर अपार जन धन को नष्ट कर दिया.मेरा मकसद निंदा करना नहीं बल्कि विवेक से सोचना है कि क्या स्त्री केवल पुरूषों के हाथ की खिलौना बनकर आखिर कब तक रहेगी?क्या देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मात्र एक विज्ञापन बनकर ही रह जाएगा?
कहाँ गुम हो गयी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेडसर:
सरकार टीवी में विज्ञापन पर करोड़ों रुपये खर्च करती है .देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेडसर को आज हाथरस में एक बेटी के साथ हुई दरिन्दगी पर कुछ तो प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी,क्या ये सिर्फ बेटी बचाओ का नाटक करने टीवी चैनलों में आते हैं?महिला होकर महिलाओं पर हो रहे जुर्म के खिलाफ चुप रहना कई संकेत देता है.इतनी संवेदनहीनता के पीछे क्या मानसिकता छुपी होती है क्या आप बता सकते है?
कहां गयी यूपी की एंटीरोमियो पुलिस?
आपको याद होगा उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद ,,’एंटीरोमियो’ पुलिस दस्ता बनाया गया था.उस वक्त यूपी में भाई-बहनों का भी एक साथ चलना मुश्किल हो गया था.क्या आप बता सकते हैं कि उस वक्त कितने बलात्कारी और दोषी पकड़े गए?मजेदार बात तो ये है कि खुद बीजेपी के नेता और विधायक कुलदीप सेंगर उन्नाव रेप केस में जेल में सजा काट रहा है.खुद रक्षक ही भक्षक बन बैठे हैं तो क्या न्याय की आशा और बेटियों के सुरक्षा की आशा की जा सकती है?
कहां गया कानून का राज?
मुझे अच्छी तरह याद है कि यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने कहा था-‘कानून शासकों का भी शासक ‘होता है इसलिए हर हाल में कानून का पालन होगा.मगर जिस रप्तार से यूपी में घटनाएं घटित हो रही हैं ऐसा लगता है गोरखाराज चल रहा है ,न कि कानून का राज!
मात्र स्कूलों,में बेटी बचाओ ड्राइंग और पेंटिंग बनवाने से,बेटी बचाओ पोस्टर चिपकाने से और निबन्ध लिखने से देश में बेटियां सुरक्षित नहीं रह सकती हैं.जब तक कि अपराध करने वाले को कानून का भय न हो और सजा याद न आ जाये .ऐसे कितने ही हाथरस और उन्नाव,हैदराबाद जैसी जघन्य बारदात होती रहंगी.आपको नहीं लगता कि कानून और संविधान अब अपराधियों की जेब में बंद हो चुके हैं और देश में बेटी बचाओ का अभियान सरकार का राजनीतिक एजेंडा
कहां गयी महिला आयोग की टीम?
जब पूरा देश इस वक्त हाथरस की निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए सड़कों पर उमड़ आया है,महिला आयोग की खामोशी भी कुछ सन्देह के घेरे में दिखती है.लगता है महिला आयोग के साथ-साथ महिला एवं वाल विकास मंत्रालय,परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संशाधन विकास मंत्रालयों के मंत्री और नेता गण बेटी बचाओ पर भाषण दे रहे होंगे और देश में कितनी और बेटियां जलाई जा रही होंगी.मुझे लगता है जब तक देश की राजनीति में दागी,दबंग,गुंडे और कातिल सक्रिय रहंगे और हम उनको संसद और विधानसभाओं में भेजते रहंगे,देश में कितने ही विकास दुबे जन्म लेते रहंगे और कितनी ही निर्भया कुचलती रहंगी,जिंदा जला दी जाएंगी.
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64 महिला सांसद खामोश क्यों?
इस वक्त भारत की संसद में 64 महिला सांसद हैं.और आपको ये जानकर हैरानी होगी कि,सबसे बड़ी सेलिब्रेटी हेमा मालिनी यूपी (मथुरा) से सांसद हैं.और इससे भी दिलचस्प बात ये है कि स्मृति ईरानी भी यूपी की अमेठी से सांसद हैं,जिन्होंने राहुल गांधी को 17वीं लोकसभा के चुनाव में हराया है.इस देश में जाति सिर्फ वोट बंटोरने के लिए यूज की जाती है न कि जाति के उत्थान और जाति के विनाश के लिए.
अगर मान लिया जाए कि हाथरस में जो तत्कालिक घटना हुई है,अगर ऐसी घटना बाल्मीकि वर्ग के बेटी के साथ न होकर अन्य वर्ग के साथ हुवा होता तो,हैदराबाद की तर्ज पर आरोपियों का एनकाउंटर भी हो चुका होता.दोस्तो ये बात इसलिए कहनी पड़ रही है कि जिस तरह के बयान पीड़ित परिवार के लोगों ने एबीपी न्यूज़ को दी ,उसको सुनकर वास्तविक हिन्दू का दिल हकीकत में रो पड़ता.जो सलूक पुलिस को अपराधियों के साथ करना चाहिए था,पीड़ित परिवार के साथ किया गया.मीडिया को पीड़ित परिवार के घर जाने से रोका जा रहा था,आखिर क्यों?
हाथरस के डीएम के शर्मनाक बोल :
ये सुनकर हैरानी होगी कि हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार ने पीड़ित परिवार को सांत्वना देने के बजाय किस प्रकार धमकाया जरा देखें’-डीएम साहब मृतका के भाई से क्या कह रहे हैं-‘अगर आपकी बहिन की मौत कोरोना से हो जाती तो क्या आपको मुवावजा मिलता’?
डीएम द्वारा दूसरी धमकी -‘मीडिया वाले तो कुछ दिन आयंगे और चले जायँगे,किन्तु तुमको हमेशा हमारे साथ रहना है,.इस बात का क्या अंदाजा लगाया जा सकता है?राजनीति गिर भी गयी तो एक IAS अधिकारी को अपने कर्तव्य को समझना चाहिए था.
कहाँ गुम हो गया एससी आयोग?
ये बड़े शर्म की बात है कि एससी वर्ग की बेटी के साथ अमानवीय कृत्य के बाद बेरहमी से हत्या कर दी जाती है,और उसी यूपी से एससी आयोग के अध्यक्ष भी आते है.शंकर कठेरिया आगरा से बीजेपी के सांसद भी हैं.उनका हाथरस की घटना पर कोई प्रतिक्रिया न देना और न ही पीड़ित परिवार से मिलने जाना क्या संकेत देता है?आप खुद ही समझ सकते हैं.
निष्कर्ष
साथियो आपने क्या निष्कर्ष निकाला ?क्या देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान मात्र विज्ञापन तक ही सिमट कर नहीं रह गया है?मेरी समझ में जो कुछ आया उसका सार इस प्रकार है-
- मन्दिर ,मस्जिद ,मूर्तियां चाहे कितनी बड़ी खड़ी कर लो जब तक समाज में जातिवाद की दीवार खड़ी है हिंदुस्तान में कभी अमन और चैन नहीं आ सकता.
- राजनीति का अपराधीकरण जब तक नहीं रुकेगा,देश में कानून का नहीं गुंडों और माफियाओं का ही राज रहेगा.
- कोई भी सरकारी योजना और अभियान मात्र टीवी विज्ञापनों से सफल नहीं हो सकती है.जब तक सच्चे मन से धरातल पर काम न किया जाए.
- ये बात सत्य है कि हैवानियत और आतंकवाद की कोई जाति नहीं होती है,मगर जाति देखकर कानून का दुरुपयोग करना महापाप है.
- भारत का धर्म , अंधविश्वास और शास्त्र महिलाओं को पूर्ण सामाजिक अधिकारों से वंचित रखता है.इस मानसिकता पर चोट करना जरूरी है.
- प0 नेहरू ने कहा था ‘who lives if India dies’.आज हमको ये कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि-बेटियां नहीं होंगी तो समाज कैसे बढेगा और देश कैसे बढेगा.जरा सोचो.
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