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आजादी के बाद पहला आम चुनाव 1951-52 जानें रोचक तथ्य:

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आजादी के बाद भारत में पहला आम चुनाव 4 महीने में संपन्न हुवा था.25 अक्टूबर 1951 को पहला चरण और 21 फरवरी 1952 को अंतिम चरण का मतदान पूरा हुवा था. देश की आजादी के बाद ये पहला अवसर था जब हिंदुस्तान को अपने लोकतंत्र की मजबूत नींव रखनी थी.ये चुनाव ऐसे वक्त में होने जा रहा था,जब देश को आजाद हुए मात्र 4 साल ही हुए थे.अंग्रेज एक जर्जर भारत ,निरक्षर भारत और गरीब भारत छोड़ गए थे.इतना ही नहीं भारत विभाजन और पाकिस्तान द्वारा कश्मीर युद्ध से देश को काफी जन धन की क्षति हुई थी.लेकिन स्वराज और लोकतंत्रात्मक शासन के लिए निर्वाचित सरकार का होना आवश्यक था,और इसके लिए मतदान कराना भी अहम था.

चुनाव आयोग की स्थापना:

26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र राज्य बन चुका था.भारत शासन अधिनियम 1935 के स्थान पर अब भारत का संविधान लागू हो गया था.भारत के प्रथम गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले, अर्थात 25 जनवरी 1950 को चुनाव आयोग की स्थापना की गई सुकुमार सेन को प0 जवाहरलाल नेहरू ने पहला मुख्य चुनाव आयुक्त का दायित्व दे दिया.यहीं से आजादी के बाद चुनाव की रूप-रेखा तय होने लगी.

आजादी के बाद पहला चुनाव
Election Commission of India

चुनाव व्यवथा की तैयारी :

आजादी के बाद इतने बड़े देश में प्रथम बार चुनाव कराना बहुत बड़ी चुनौती थी. सिर्फ लोकसभा ही नहीं विधान सभाओं के चुनाव भी एक साथ ही होने थे.देश में साक्षरता दर मात्र 20 फीसदी के करीब थी.ऐसे में निरक्षर मतदाताओं को जागरूक करना भी समस्या थी.आजकल की तरह प्रचार -प्रसार के इतने साधन भी उपलब्ध नहीं थे.देश में संशाधनों की कमी थी.मतदान बूथ तक चुनाव सामग्री पहुंचाना बहुत कठिन था.जानें कितनी तैयारी की थी चुनाव आयोग ने.

  • 2 मिलियन लोहे की मतपेटियां बनायीं गयी थी.
  • 62 करोड़ मतपत्र छापे गए थे.
  • 2.50 लाख के करीब मतदान केंद बनाये गए थे.
  • मतपत्रों की छपाई ‘Indian Security Press,’नासिक में की गई.
  • सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी को देखते हुए करीब 16000 लोगों को अनुबंध पर लगाया गया.
  • 3 लाख से ज्यादा स्याही के पैकेट तैयार किये गए.

आजादी के बाद पहले आम चुनाव में मतदाताओं की स्थिति:

http://आजादी के बाद से प्रथम गणतंत्र तक कि यात्रा

पहला आम चुनाव कई मामलों में रोचक भी था और चुनौतियों से भरा हुवा भी था.आजादी के बाद प्रथम आम चुनाव में 2.8 मिलियन महिला मतदाताओं को पंजीकृत किया गया था.साथ ही महिलाओं के लिए 27,527 मतदान केंद्र अलग से बनाये गए थे.वयस्क मताधिकार की आयु इस वक्त 21 वर्ष रखी गई थी.मतदाताओं की सुविधा के लिए प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अलग-अलग रंग की मतदान पेटियों की व्यवस्था की गई थी,इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि पहला चुनाव कितना मुश्किल भरा था.

राजनीतिक परिदृश्य:

आजादी के समय तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ही एक मात्र राजनैतिक पार्टी थी.और विपक्ष के नाम पर सीपीआई का भी अस्तित्व था,मगर नेहरू की कांग्रेस के सामने कोई सशक्त विकल्प इस चुनाव से पहले नहीं था.प्रथम आम चुनाव से पहले नेहरू मन्त्रिमण्डल के दो अहम व्यक्ति उनसे अलग हो गए और उन्होंने अलग पार्टी गठित कर ली.इनमें डॉ0 भीमराव अंबेडकर और डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे.

प्रमुख राजनीतिक दल और कांग्रेस में फूट:

जैसा कि हम वर्तमान में देख सकते हैं भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ,निरन्तर विघटित होती जा रही है.ये कोई नई बात नहीं है ,आजादी के बाद। प्रथम आम चुनाव से ही कांग्रेस पार्टी में फूट का शीलसीला आरंभ हो गया था.सबसे पहले नेहरू जी के मंत्रिमंडल के सहयोगी रहे दो प्रमुख नेताओं संविधान निर्माता डॉ0 बीआर अम्बेडकर और डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अलग-अलग पार्टियां बना डाली.डा0 अम्बेडकर ने शैडयूल्ड कास्ट फेडरेशन और डॉ0 मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना कर डाली।

डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी।जनसंघ के संस्थापक
जनसंघ के संस्थापक

किसान मजदूर प्रजा परिषद:

1950 में काग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव हुए तो नेहरू ने आचार्य कृपलानी का समर्थन किया। दूसरी ओर पुरुषोत्तम दास टण्डन थे जिनका समर्थन पटेल कर रहे थे। इसमें पुरुषोत्तम दास टण्डन विजयी हुए। अपनी हार से तथा गांधी के असंख्य ग्राम स्वराज्यों के सपने को चकनाचूर होते देखकर वे विचलित हो गए और 1951 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया ,तथा किसान जदूर प्रजा पार्टी गठित कर ली। यह दल आगे चलकर प्रजा समाजवादी पार्टी में विलीन हो गया। उन्होंने ‘विजिल’ नाम से एक साप्ताहिक पत्र निकालना शुरू किया था।आजादी के बाद कांग्रेेेस में येे बड़ा परिवर्तन था.

आजादी के बाद प्रमुख राजनीतिक दल के नेता
जेबी कृपलानी किसान मजदूर प्रजा परिषद

सोशलिस्ट पार्टी :

कांग्रेस के तीन कदावर नेता जिनमे आचार्य नरेन्द्र देव,जयप्रकाश नारायण तथा डॉ0 राम मनोहर लोहिया कांग्रेस से 1934 में ही अलग हो गए थे.उस वक्त उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी बनाई थी.लेकिन पहले आम चुनाव में उन्होंने कांग्रेस शब्द को हटाकर सोशलिस्ट पार्टी के तौर पर चुनाव लड़ा.

डॉ0 राम मनोहर लोहिया.

अन्य राजनीतिक दल :

स्वतन्त्रता के बाद हुए पहले आम चुनाव में कुल 53 राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़ा था.जिनमें 14 राष्ट्रीय दल थे तथा 39 क्षेत्रीय दल सामिल थे.इसके अतिरिक्त निर्दलीयों ने भी किस्मत आजमाई थी.

  • हिन्दू महासभा.
  • अखिल भारतीय राम राज्य परिषद
  • सीपीआई.

विचित्र किंतु सत्य:

हिंदुस्तान की आजादी के बाद संपन्न हुए पहले आम चुनाव में कुछ रोचक तथ्य सामने आए हैं,जो आज के चुनाव की परिप्रेक्ष्य में विचित्र लगता है.

पहले आम चुनाव की एक अहम दिलचस्प बात ये थी कि एक निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक सीटें भी हुवा करती थी.489 लोकसभा स्थानों के लिए 401 निर्वाचन क्षेत्रों में ही चुनाव हुए.314 निर्वाचन क्षेत्र नें 1 सीट,86 निर्वाचन क्षेत्र 2 सीटों वाली तथा 1 निर्वाचन क्षेत्र में 3 सीटें थीं.है न अपने आप में रोचक?1960 में इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया.

देश में उस वक्त पढ़े लिखे मतदाताओं की संख्या बहुत कम थी.इस कारण आज की तरह मतदान पत्र पर नाम और चिन्ह नहीं थे.हर पार्टी के लिए अलग-अलग मतपेटियां बनाई गई थीं.

अलग-अलग मतपेटी ढूँढती वृद्ध मतदाता।

चुनाव प्रचार:

स्वतंत्रता के बाद आयोजित पहले आम चुनाव में चुनाव प्रचार के अनोखे तरीखे अपनाये गए थे.घर-नगर की दीवारों में लिखकर प्रचार किया जाता था. प्रत्याशियो को कई मील पैदल चलना पड़ता था.चूँकि कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी थी उसके पास धन की कमी भी नहीं थी.प्रथम चुनाव प्रचार अभियान में प0 नेहरू ने 40 हजार किलोमीटर की यात्रा तय की थी ,करीब 3 करोड़ लोगों को संबोधित किया था.अब आती है मतदान की बारी जिसके लिए देशवासियों को बेसब्री से इंतज़ार था .

प0 जवाहरलाल नेहरू

आजादी के बाद पहला वोट कब और कहां पड़ा?

जिस लोकतंत्र की स्थापना के लिए सदियों से संघर्ष किया था,तथा हजारों कुर्बानियां दी थीं,25 अक्टूबर 1951 को हिमाचल प्रदेश के चिनी तहसील में पहला वोट जब पड़ा शहीदों की शहादत अमर हो गयी.

चुनाव परिणाम और मतदान के आंकड़े:

इस चुनाव में कुल 1874 प्रत्याशी खड़े हुए थे.लोकसभा की 489 तथा विधानसभा की 4001 सीटों के लिए चुनाव हुए.पहले आम चुनाव में 17 करोड़ 32 लाख कुल मत पड़े जो 44.87% था.

  • सबसे कम मतदान कोटबून्दी (राजस्थान) में हुवा जो मात्र 22.59 % था.
  • सबसे अधिक मतदान केरल के कोट्टयम सीट पर हुवा जहां 80.49 % मतदान हुवा.
  • कुल 53 राजनीतिक दलों ने प्रथम चुनाव में हिस्सा लिया.

आजादी के बाद प्रथम आम चुनाव परिणाम:-

Party NameTatal seat gain
कांगेस 364
सीपीआई16
सोशलिस्ट पार्टी9
पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट7
हिन्दू महासभा4
शेड्यूल्ड कॉस्ट फेडरेशन2
भारतीय जनसंघ3
अखिल भारतीय रामराज्य परिषद3

कौन हारा कौन जीता:

प्रथम लोकसभा चुनाव में कई अप्रत्याशित परिणाम सामने आए.संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर बॉम्बे की सुरक्षित सीट से हार गए .दिलचस्प ये भी है कि 1954 में भंडारा (महाराष्ट्र) में हुए उपचुनाव में भी डॉ0 आम्बेडकर पुनः पराजित हो गए.

आजादी के बाद प्रथम आम चुनाव में हार गए थे डॉ0 अम्बेडकर.1954 में उपचुनाव में भी नहीं पहुंच सके लोकसभा में
डॉ0 अम्बेडकर

आचार्य जेबी कृपलानी भी फैजाबाद से हार गए .

प0 जवाहरलाल नेहरू उत्तरप्रदेश की फूलपुर सीट से खड़े हुए थे जो भारी मतों से विजयी हुए थे. 1952 के चुनाव में कांग्रेस को 45% मत मिले थे.

इस प्रकार एक मैराथन यात्रा के बाद आजादी के बाद का पहला चुनाव सफलता पूर्वक संपन्न हो गया.

प0 जवाहरलाल नेहरू आजाद हिंदुस्तान के पहले निर्वचित प्रधानमंत्री बने.उनके साथ जीवी मावलंकर पहले लोकसभा के स्पीकर बने.

आज की राजनीति में दागदार लोगों की एंट्री से भारत का लोकतंत्र बदनाम हो रहा है.हमको आने संविधान के तहत आचरण करते हुए लोकतंत्र को समाज हित में प्रयोग करते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है.

अगला लेख आजादी के बाद पंचवर्षीय योजनाओं पर

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