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मेरे देश में इस बीच: ये क्या हो रहा जरा,सोच बदलकर तो देखो।
इस बीच जब नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो रही हैं।,विश्व के देश नए-नए खोजों में अपनी बुद्धि और ऊर्जा को खपा रहे हैं।लेकिन मेरे देश में गड़े मुर्दों को उखाड़कर उनको जिंदा करके फिर मारने की तैयारी ,और उस पर बहस छिड़ी हुई है।

यहां पुतले मेकर का पुरस्कार की होड़
जब अमेरिका,फ्रांस,इटली,जापान आदि देशों के युवा अगले नोबेल पुरस्कार पाने के लिए भौतिकी,रसायन, चिकित्सा,अर्थशास्त्र पर गहन शोध कर रहे होंगे,मेरे देश के युवा रावण परिवार के पुतले बनाने में मशगूल हो रहे होंगे।और बेस्ट पुतला मेकर अवार्ड के लिए इंतजार कर रहे होंगे।
जब अन्य देशों में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें लगातार घट रही होंगी ,मेरे देश में यहां पेट्रोल के दाम शतक लगा चुके हैं।
,तेल दोहरा शतक लगा चुका है।मगर इसी बीच मेरे देश में सावरकर का महिमामंडन हो रहा है,गुणगान हो रहा है।
गांधीवाद खतरे में।
और महात्मा गांधी से उनकी राष्ट्रपिता की पदवी को छीनकर सावरकर साहब को पहनाने की तैयारी चल रही है।नेहरू को तो हर दिन कोसे बिना मोदी और भाजपा की सुबह ही नहीं होती।

आज दशहरा पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है।कई पुतले जलाए जा रहे है।रावण के हजारों पुतले सदियों से मेरे देश में इसलिए जलाए जाते हैं कि बुराई पर अच्छाई 1की बिजय हो।जो चरित्र रावण का दिखाया गया है,उस चरित्र जैसे इंसानों का खात्मा हो!
इतने रावण हैं भारत में,ये कब खत्म होंगे।
मगर ऐसा आजतक हुवा नहीं,रावण ने इतना बुरा किया कि सीता को अपहरण कर लंका ले गया, और वाटिका में रखा।,जिंदा तो नहीं जलाय?,जैसा कि मेरे देश में रोज सुनने ,पढ़ने को मिलता है कि ,अमुक महिला,लड़की का बलात्कार कर दबंगों ने जिंदा जला डाला.ऐसे रावण भी अब पैदा हो गए है,जो गाड़ियों से निर्दोष अन्नदाताओं को कुचल देते हैं,।वे वही लोग हैं जो गांधी से नफरत करते हैं और गोडसे सावरकर को दिल से लगाते हैं।

सिर्फ पुतले दहन करने से खत्म नहीं होंगी बुराई।
सिर्फ पुतले जला देने से मेरे देश की बुराइयां कम नहीं हो जाएंगी ,भुखमरी, बेरोजगारी,अपहरण शोषण,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार खत्म नही हो जाएगा।जातिवाद,भेदभाव,असमानता खत्म नहीं हो जाएगी,निरक्षरता,अंधविश्वास, पाखण्ड,कुपोषण खत्म नहीं हो जाएगा।मेरे देश के लोगों को खुद के अंदर बसी बुराइयों को खुद ही खत्म करना होगा।पुतले दहन से तो सिर्फ धुँवा फैलेगा, जो प्रदूषण को फैलाता है।
ये थीं दशहरे के दिन की सुर्खियां।जब रावण के पुतले जल रहे थे,मेरे देश में!
1-वैश्विक भुखमरी सूचकांक में 101वें नंबर पर फिसला भारत, बांग्लादेश और पाक भी हैं आगे।
2-मध्य प्रदेश: दलित व्यक्ति को बंधक बनकार तीन लोगों ने उसकी पत्नी के साथ किया गैंगरेप।
3-सिंघु बार्डर पर एक युवक की बेरहमी से हत्या, हाथ काटकर शव बैरिकेड से लटकाया
4-रावण रूपी सरकार का पुतला दहन।
5-दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर 3 भाई यमुना में डूबे।
6-जम्मू -कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में उत्तराखंड के 2 लाल शहीद।
उपरोक्त घटनाएं लेख की प्रासंगिकता को दर्शाने के लिए हैं,किसी पर आक्षेप लगाने के लिए नहीं।बुराइयां ओटले जलाकर आजकल खत्म नहीं हुई,मूर्ति विसर्जन कर यहां जानें जाती हैं,कोई नोबेल पुरस्कार नहीं मिलता?पुतले जलाने से मेरे देश का हंगर इंडेक्स में सुधार नहीं होता?
अगर भारत को मेरे देश में बदलना है तो सारे वादों से मुक्त होना होगा,जिसमें पाखण्डवाद, जातिवाद,क्षेत्रवाद सामिल हैं।पुतले मेकर नहीं देश के युवाओं को कंप्यूटर मेकर बनाना होगा।अंधविश्वास ,पाखण्ड,असमानता, भ्रष्टाचार, और धार्मिक उन्माद फैलाने से हम विश्वगुरु का सपना तो देख सकते हैं,मगर हकीकत में बन नहीं सकते।
मेरे देश में अपार संपदा है युवाओं की ऊर्जा का ,इनकी ऊर्जा को सिर्फ चुनावों के लिए ही इसे5 न किया जाए।इनकी ऊर्जा को मेरे देश के नव निर्माण के लिए किया जाए ।
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