आज एक ऐसी प्रेरक कहानी बताने जा रहा हूँ जो आपके नजरिए को बदल सकता है.जरूरी नहीं कि बहुत पढ़ा -लिखा और शिक्षित व्यक्ति ही सही निर्णय ले.किसी भी क्षेत्र में कामयाबी हांसिल करने के लिए सकारात्मक सोच रखना जरूरी है.ये प्रेरक कहानी शिव खेड़ा की किताब”जीत आपकी” से उद्धरित किया गया है.कहानी एक अनपढ़ पिता और स्नातक(graduate) बेटे की है.पिता सड़क के किनारे ठेला लगाकर समोसे बेचता था.उसकी अच्छी बिक्री हो जाती थी.तभी कालेज से उसका बेटा B.A.की डिग्री लेकर आया और अपने पिता के साथ हाथ बंटाने लगा.

समोसे वाले की प्रेरक कहानी:
“एक आदमी सड़क के किनारे समोसे बेचा करता था .अनपढ़ होने की वजह से वह अखबार नहीं पड़ता था. ऊंचा सुनने की वजह से वीडियो नहीं सुनता था, और आंखें कमजोर होने की वजह से उसने कभी टेलीविजन भी नहीं देखा था.इसके बावजूद वह काफी समोसे बेच लेता था. उसकी बिक्री और नफे में लगातार बढ़ोतरी होती गई .उसने और ज्यादा आलू खरीदना शुरू किया. साथ ही पहले वाले चूल्हे से बड़ा और बढ़िया चूल्हा खरीद कर ले आया .
उसका व्यापार लगातार बढ़ रहा था, तभी हाल ही में कॉलेज से बीए(B.A.) की डिग्री हासिल कर चुका उसका बेटा पिता का हाथ बटाने के लिए चला आया. उसके बाद एक अजीबोगरीब घटना घटी. बेटे ने उस आदमी से पूछा,” पिताजी क्या आपको मालूम है कि हम लोग एक बड़ी मंदी का शिकार बनने वाले हैं?” पिता ने जवाब दिया ,”नहीं, लेकिन मुझे उसके बारे में बताओ”
बेटे ने कहा-” अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां बड़ी गंभीर हैं. घरेलू हालात तो और भी बुरे हैं. हमें आने वाले बुरे हालात का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए.”उस आदमी नहीं सोचा कि उसका बेटा कॉलेज जा चुका है,अखबार पढ़ता है, और रेडियो सुनता है, इसलिए उसकी राय को हल्के ढंग से नहीं लेना चाहिए. दूसरे दिन से उसने आलू की खरीद कम कर दी, और अपना साइन बोर्ड(Signboard) नीचे उतार दिया. उसका जोश खत्म हो चुका था. जल्दी ही उसी दुकान पर आने वालों की तादाद घटने लगी और उसकी बिक्री तेजी से गिरने लगी .पिता ने अपने बेटे से कहा,-” तुम सही कह रहे थे. हम लोग मंदी के दौर से गुजर रहे हैं.मुझे खुशी है कि तुमने वक्त से पहले ही सचेत कर दिया.”
कहानी से प्रेरणा :
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सिर्फ पढ़ा लिखा व्यक्ति ही उचित फैसला ले सकता है यह जरूरी नहीं.
1.हम अपनी सोच के मुताबिक, खुद को आत्मसंतुष्ट करने वाली भविष्यवाणियां कर देते हैं.
2.कई बार हम बुद्धिमता को अच्छा फैसला मानने की गलती भी कर बैठते हैं.
3. एक इंसान ज्यादा बुद्धिमान होने के बावजूद गलत फैसला कर सकता है.
4. अपने सलाहकार सावधानी से चुनिए लेकिन अमल अपने ही फैसले पर करिए.
5. अगर किसी इंसान में आगे दी हुई पांच खूबियां हों , तो वह स्कूली शिक्षा हासिल किए बिना कामयाब हो सकता है-
चरित्र (Character)
प्रतिबद्धता (Commitment)
दृढ़ विश्वास (Conviction)
तहजीब (Courtesy)
साहस (Courage)
कई लोग ज्यादा ज्ञानी हैं. उन्हें चलता- फिरता विश्वकोश माना जा सकता है. पर दुख की बात है कि इसके बावजूद वे ना -कामयाबी की जीती- जागती मिसाल होते हैं .
समझदारी का मतलब किसी हुनर को तेजी से सीखना है .हुनर एक योग्यता है .क्षमता में योग्यता, और सीखे गए हुनर को अमल में लाने की इच्छा, यह दोनों बातें शामिल होती हैं .इच्छा वह नजरिया है जो किसी हुनरमंद इंसान को क्षमतावान बनाता है .बहुत से लोग हुनरमंद तो होते हैं लेकिन सामर्थ्यवान नहीं होते क्योंकि सही नजरिये के बिना काबिलियत व्यर्थ हो जाती है.
जैसा कि विंस्टन चर्चिल ने लिखा है -“यूनिवर्सिटी की पहली जिम्मेदारी ज्ञान देना और चरित्र निर्माण होता है, ना कि व्यापारिक और तकनीकी शिक्षा देना.”
-विंस्टन चर्चि
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