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लालची राजा की रोचक कहानी इन हिंदी: पुत्री स्पर्श जो बन गयी मूर्ति:1 Big inspiration

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हमने बचपन से ही कई कहानियां सुनी हैं.ज्यादातर कहानियां या कथाएं राज की ही होती थी.साथ ही कुछ ऐसी भी दिलचस्प कहानियां सुनी और पड़ी हैं जो एक सुंदर अनुभूति के साथ-एक प्रेरणा भी देती हैं.आज के इस आर्टिकल में एक लालची राजा की रोचक कहानी लिख रहा हूँ.जिसने सोनेेेे(Gold) के खातिर अपनी बेटी को छुआ तो वह सोने की मूर्ति बन गयी.राजा अब बहुत परेशान और दुुःखी था.वह अपनी पुत्री को पुनः पाना चाहता देखतेे हैं पूरी कहानी

लालची राजा मिदास:

एक लालची राजा था,जिसका नाम मिदास था.वह बहुत ही धनी था. उसके पास सोने(gold) की कमी नहीं थी, लेकिन सोना जितना बढ़ता , वह और अधिक सोना चाहता. उसने सोने को खजाने में जमा कर लिया था, और हर रोज उसे गिना करता था.

वह रात दिन उठते बैठते और सपनों में भी सोना ही सोना देखता था .उसको ऐसी लत हो गई थी कि वह हर वक्त हर जगह बस सोना और सोना ही सोचता रहता था. देखते हैं उसकी इस लालची नजरों ने क्या कारनामा कर दिखाया:

लालची राजा की रोचक कहानी:

एक दिन जब वो सोना(Gold) गिन रहा था, तो एक अजनबी कहीं से आया और बोला,” तुम मुझसे ऐसा कोई भी वरदान मांग सकते हो, जो तुम्हें दुनिया में सबसे ज्यादा खुशी दे”. राजा खुश हुआ, और उसने कहा,” मैं चाहता हूं कि जिस चीज को छुऊँ, वह सोना बन जाए.” अजनबी नहीं राजा से पूछा,” क्या तुम सचमुच यही चाहते हो?” राजा ने कहा “,हाँ” तो अजनबी बोला, “कल सूरज की पहली किरण के साथ ही तुम्हें किसी चीज को छूकर सोना बना देने की ताकत मिल जाएगी.”

राजा ने सोचा कि वह सपना देख रहा होगा, यह सच नहीं हो सकता. लेकिन अगले दिन जब राजा नींद से उठा, तो उसने अपना पलंग छुवा और वह सोना बन गया. वह वरदान सच था. राजा ने जिस चीज को भी छुआ, वह सोना बन गई. इस रोचक कहानी का अगला दृश्य देखिए.

राजा मिदास का पुत्री स्पर्श :

रोचक कहानी राजा मिदास की
image source Getty images

राजा ने खिड़की के बाहर देखा, और अपनी नन्ही बच्ची को खेलते पाया. उसने अपनी बिटिया को यह चमत्कार दिखाना चाहा, और सोचा कि वह खुश होगी. लेकिन बगीचे में जाने से पहले उसने एक किताब पढ़ने की सोची. उसने जैसे ही उसे छुआ, वह सोने की बन गई वह किताब को पढ़ न सका. फिर वह नाश्ता करने बैठा, जैसे ही उसने फलों और पानी के गिलास को छुआ वह भी सोने की बन गए. उसकी भूख बढ़ने लगी और वह खुद से बोला, “मैं सोने को खा और पी नहीं सकता.” ठीक उसी समय उसकी बेटी दौड़ती हुई वहां आई और उसने उसे बाहों में भर लिया. वह सोने की मूर्ति बन गई अब राजा के चेहरे से खुशी गायब हो गई.और अपनी बेटी को मूर्ति बना देख उसके होश उड़ने लगे.

राजा का पश्चाताप:

राजा सिर पकड़ कर रोने लगा. वह वरदान देने वाला अजनबी फिर आया, और उसने राजा से पूछा:- कि क्या वह हर चीज को सोना बना देने की अपनी ताकत से खुश है? राजा ने बताया कि वह दुनिया का सबसे दुखी इंसान है. राजा ने उसे सारी बात बताई. अजनबी नहीं पूछा, “अब तुम क्या पसंद करोगे, अपना भोजन और प्यारी बिटिया, या सोने के ढेर और बिटिया की सोने की मूर्ति.”राजा ने गिड़गिड़ा कर माफी मांगी, और कहा,” मैं अपना सारा सोना छोड़ दूंगा, मेहरबानी करके मेरी बेटी मुझे लौटा दो, क्योंकि उसके बिना मेरी हर चीज मूल्यहीन हो गई है. अजनबी ने राजा से कहा, “तुम पहले से बुद्धिमान हो गए हो.” और उसने अपने वरदान को वापस ले लिया. राजा को अपनी बेटी फिर से मिल गई और उसे एक ऐसी सीख मिली जिसे वह जिंदगी भर नहीं भुला सका.

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कहानी से क्या सीख मिली?

इस रोचक कहानी को पढ़ने के बाद हमको जीवन की हकीकत को जानने का अवसर मिला है.व्यक्ति धन-दौलत केे चक्कर में इतना अंधा हो जाता है कि वह अपना विवेेेक खो बैठता है. इस रोचक कहानी का सार इस प्रकार समझ सकते हैै.

  1. घटिया या विकृत जीवन मूल्यों से दुःख ही नसीब होता है.
  2. कई बार इच्छा का पूरा होना,न पूरा होने से बड़ा दुःख पैदा हो जाता है.
  3. फुटबॉल के खेल में तो खिलाड़ी बदले जा सकते हैं,पर जिंदगी के खेल में न तो खिलाड़ी बदले जा सकते हैं,और न ही खेल दुबारा खेला जा सकता है.शायद हमको दुःखों से मुक्ति पाने का मौका दुबारा न मिल सके.

तृष्णा और दुःख निरोधी मार्ग :

उपरोक्त रोचक कहानी को पढ़कर हमको जीवन के कष्टों के निवारण के मार्ग खोजने की कोशिश करनी चाहिए.चाहे इंसान कितना धनी हो या कितना ही राजशाही अंदाज में जी रहा हो सबके पास दुःखों का भण्डार भी उतना ही बड़ा है.इसलिए भगवान बुद्ध ने चार आर्य सत्य बताए है.:-

  1. दुः ख – संसार में दुः ख है.
  2. समुदाय –  दुः ख का कारण है.
  3.  निरोध –  दुः ख निवारण संभव है.
  4. मार्ग –   दुः ख निवारण हेतु अष्टांगिक मार्ग का पालन करना

भगवान बुद्ध ने दुःख निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग पर चलने की शिक्षा दी है.जिसको मध्यम मार्ग भी कहते है.क्या हैं ये 8 मार्ग जानते हैं:-

  1. सम्यक दृष्टि
  2. सम्यक संकल्प
  3. सम्यक वाणी
  4. सम्यक कर्म
  5. सम्यक आजीविका
  6. सम्यक व्यायाम
  7. सम्यक स्मृति
  8. सम्यक समाधि.

Disclaimer:

रोचक कहानी .सोच बदलो

इस आर्टिकल की कहानी ‘जीत आपकी’ किताब से ली गयी है.इस किताब के लेखक हैं शिव खेड़ा. कहानी के सन्देश को और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए इसमें बुद्ध के संदेश को भी जोड़ा गया है.आपको ये कहानी कैसी लगी अपनी राय अवश्य दे.

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I am I.P.Human My education is m.sc.physics and PGDJMC I am from Uttarakhand. I am a small blogger

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