जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात माँ और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है।दुनियाँ में माँ से बड़ा कोई रिश्ता ही नहीं है।कहते हैं कि माँ की चरणों में जन्नत होती है।
इस दुनिया में आपके जितने भी रिश्ते हैं, उन सभी रिश्तों में सबसे पुराना रिश्ता मां होती है क्योंकि मां के साथ एक बच्चे का संबन्ध गर्भ में आने के साथ ही जुड़ जाता है. बच्चे के गर्भ में आते ही एक महिला अपने बच्चे की फिक्र करने में लग जाती है और जन्म के बाद मां के रूप में बच्चे की पहली पाठशाला बनती है. बच्चे के खाने-पीने, पढ़ने-लिखने से लेकर उठने-बैठने के तौर तरीके तक, हर चीज एक बच्चा सबसे ज्यादा अपनी मां से सीखता है. बच्चे की खुशी के लिए मां पूरे जीवन में न जाने कितने त्याग करती है. ख्वाहिश बस इतनी होती है कि बच्चा काबिल बन जाए ताकि उसके जीवन में सारी खुशियां उसके पास हों.
माँ की ममता और महानता को शब्दों द्वारा कभी भी बयां नहीं किया जा सकता है।कवि हो या लेखक अपनी कलम से माँ की महानता और माँ के त्याग का वर्णन अपने -अपने ढंग से करते हैं।आज के भौतिक युग में रिश्तों में भले ही दूरियां हो गयी हों लेकिन साल में एक दिन माँ को याद करने का भी मनाने का प्रचलन भी शुरू हुआ है।
मदर्स डे या मातृ-दिवस जो की माँ के लिए मनाया जाने वाला पर्व है| आजकल के दौर में कई अंग्रेजी दिवस हमारे युवा मनाने लगे है, ऐसे में मदर्स डे भी बच्चो द्वारा अपनी अपनी माताओ के लिए सेलिब्रेट किया जाने लगा है| माँ का जितना गुणगान करो उतना कम है, क्युकी शब्दों में बयां हो जाए ये ऐसा रिश्ता नहीं | इस लेख में मदर्स डे शायरी प्रस्तुत की जा रही है जो की आप अपनी माँ को एक अलग अंदाज़ में साँझा कर सकते है| आपके मन में, आपके दिल में जो प्यार उनके लिए है उन्हें इन बेहतरीन शायरी के द्वारा व्यक्त कर सकते है| मदर डे पर प्यार भरी शायरी, दुःख भरी शायरी जो लोग माँ को बहुत याद करते है, या उनसे दूर रहते है, वो भी मिस यू माँ वाली शायरी देख सकते है|
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती. – मुनव्वर राणा
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है, मां बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है. – मुनव्वर राणा.
बच्चों को खिलाकर जब सुलादेती है माँ, तब जाकर थोडा सा सुकोन पाती है माँ, प्यार कहते हैं किसे ? और ममता क्या चीज़ है ?, कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी गुज़र जाती है माँ, चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जाएँ , जब मुसीबत सर पर आती है तो याद आती है माँ।
कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती, सब कुछ मिल जाता है लेकिन “माँ” नहीं मिलती… माँ-बाप ऐसे होते हैं दोस्तों जो ज़िन्दगी में फिर नहीं मिलते, खुश रखा करो उनको फिर देखो जन्नत कहाँ नहीं मिलती…
हम गरीब थे, ये बस हमारी मां जानती थी, हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी. -मुनव्वर राना
उन बूढ़ी बुजुर्ग उंगलियों में कोई ताकत तो न थी, मगर मेरा सिर झुका तो, कांपते हाथों ने जमाने भर की दौलत दे दी. – अज्ञात
चलती फिरती आंखों से अज़ान देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं लेकिन मां देखी है. -मुनव्वर राणा