Table of Contents
आजादी के बाद भारत में पहला भ्रष्टाचार ‘मूंदड़ा कांड’
आजादी के बाद भारत में दूसरे आम चुनाव तक कांग्रेस और उसके नेता पंडित जवाहर लाल नेहरू को सीधे तौर पर किसी व्यक्ति और पार्टी ने टक्कर नहीं दी थी.लेकिन 1962 का तीसरा आम चुनाव आते-आते नेहरू और उनकी सरकार पर भ्र्ष्टाचार के आरोप भी लगने लगे थे.चुनाव से पहले खुद नेहरू के दामाद फिरोज गांधी ने संसद में ‘मूंदड़ा’ कांड उछाल कर नेहरू को परेसानी में डाल दिया था.मूंदडा कांड के उछलने के बाद तत्कालीन सरकार के वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी को अपने पद से त्याग पत्र देना पड़ा था.

स्वतंत्र पार्टी का आगाज:
आजादी के बाद पहली बार पण्डित जवाहरलाल नेहरू की समाजवादी नीति के विरोध में स्वतंत्र पार्टी अस्तित्व में आई.अगस्त 1959 को सी राजगोपालाचारी और मीनू मसानी ने ‘स्वतन्त्र पार्टी ‘का गठन किया.सी राजगोपालाचारी भारत के द्वितीय गवर्नर जनरल और प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल रहे थे.इस पार्टी ने पंडित नेहरू की समाजवादी नीति का खुलकर विरोध किया था.
स्वतंत्र पार्टी ‘लाइसेंस-परमिट राज’ को समाप्त करने की पक्षधर थी,साथ ही राजगोपालाचारी मुक्त अर्थव्यवस्था को लाना चाहते थे.उस वक्त स्वतंत्र पार्टी को जमीदारों और उद्योगपतियों की पार्टी माना जस्ता था.राजगोपालाचारी की मृत्यु के बाद उस पार्टी का ‘भारतीय लोकदल में विलय हो गया.

सी राजगोपालाचारी स्वतन्त्र पार्टी के जनक
तीसरे आम चुनाव की रूप रेखा और बदलाव:
1962 का आम चुनाव 16 फरवरी से 25 फरवरी 1962 तक संपन्न हुआ.आजादी के बाद सबसे कम समय मे यह चुनाव पूर्ण किया गया था.तृतीय आम चुनाव में चुनाव आयोग ने कई अहम परिवर्तन किए.पिछले दो आम चुनावों में जो खामियां थीं ,इस चुनाव में उनको दूर किया गया.जिसका परिणाम ये हुवा कि चुनाव कम अवधि में सम्पन्न हो गए ,तथा धन और समय की भी बचत हुई.आजादी के बाद भारत में ये पहला अवसर था जब चुनाव प्रक्रिया में कई बदलाव किए गए ,जानते हैं कुछ अहम बदलाव:-
- आजादी के बाद भारत में दूसरे आम चुनावों तक एक निर्वाचन क्षेत्र में 1 से अधिक सीटें हुवा करती थी.अर्थात एक निर्वाचन क्षेत्र में एक सीट आरक्षित और शेष सामान्य होती थी.91 लोकसभा के तथा 585 सीटें विधानसभा के द्विसदनीय थे.एक लोकसभा का संसदीय क्षेत्र में तीन सीटें थीं.इस प्रणाली से कई मत अवैध हो जाते थे,क्योंकि मतदाता अपने सभी मत एक ही उम्मीदवार को दे देता था.तीसरे आम चुनाव में इस प्रकार की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया.तथा सभी निर्वाचन क्षेत्र से में केवल एक ही सीट रखी गयी,जो अभी तक जारी है.
- इस आम चुनाव में मतपत्रों को चिन्हित करने की प्रक्रिया आरंभ की गई.इस प्रणाली से ये फायदा हुवा कि ,जहां पहले हर उम्मीदवार और पार्टी के लिए अलग-अलग मतपेटियां रखी जाती थी,नए नियम से अब केवल एक ही मतपेटी का प्रयोग होने लगा
- तृतीय आम चुनाव में पहली बार किसान और ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोग भी संसद में पहुंचे. ये कहा जा सकता है कि आजादी के बाद भारत में ये पहला अवसर था जब चुनाव सुधारों से लेकर राजनीतिक दलों में कई अहम बदलाव देखने को मिले.
- इस चुनाव में लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव एक ही साथ कराये जाने की पुरानी नीति भी बदल गयी. केवल लोकसभा के ही चुनाव पृथक होने लगे.
ये भी पढ़े–http://आजादी के बाद भारत में 1952 का आम चुनाव
भारतीय जनसंघ की स्थित:
इस लोकसभा निर्वाचन में भारतीय जनसंघ ने पिछले दो आम चुनावों की तुलना में अपने प्रदर्शन में काफी सुधार किया जहाँ 1952 के आम चुनाव में जनसंघ को मात्र चार सीटों से सन्तोष करना पड़ा था,इस चुनाव में 14 सीटें जीतकर चौथै स्थान पर रही.196 उम्मीदवार जनसंघ ने चुनाव में उतरे थे जिनमें 114 की जमानत जब्त हो गयी थी.
मतदान का विवरण:
आजादी के बाद भारत में तीसरी लोकसभा के आम चुनाव में कुल 494 सीटों के लिए चुनाव कराए गए थे.इस चुनाव में मतदाताओं की कुल सँख्या 21 करोड़ 76 लाख 93 हजार 197 थीं,जिनमें से 11 करोड़ 99 लाख 74 हजार 315 मतदाताओं ने मतदान किया. आजादी के बाद भारत में इस चुनाव में मतदान का प्रतिशत 55.46 रहा.
चुनाव परिणाम एक झलक:
आजादी के बाद भारत में तीसरी लोकसभा के कुल 494 स्थानों में चुनाव हुए ,राजनीतिक दलों की स्थिति इस प्रकार रही-
1 | इंडियन नेशनल कांग्रेस INC | 361 |
2 | कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडियाCPI | 29 |
3 | स्वतन्त्र पार्टी. SP | 18 |
4 | भारतीय जनसंघ | 14 |
5 | द्रविड मुन्नेत्र कड़गम DMK | 7 |
6 | प्रजा सोसलिस्ट पार्टी PSP | 12 |
7 | सोशलिस्ट पार्टी SSP | 6 |
8 | रिपब्लिकन RPI | 3 |
9 | अकाली दल AD | 3 |
10 | गणतंत्र परिषद GP | 4 |
11 | छोटा नागपुर सन्थाल परगना जनता पार्टी CNSPJP | 3 |
12 | अखिल भारतीय राम राज्य परिषद RRP | 2 |
13 | इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग IUML | 2 |
14 | आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉकAIFB | 2 |
15 | लोक सेवक संघ LSS | 2 |
16 | नूतन महा गुजरात जनता परिषद NMGP | 1 |
17 | अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ABHM | 1 |
18 | रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी RSP | 2 |
19 | आल पार्टी हिल लीडर्स कॉन्फेंस। APHLC | 1 |
20 | हरियाणा लोक समिति | 1 |
कौन लड़ा था नेहरू के खिलाफ 1962 का चुनाव:
जैसा कि पहले ही बताया गया है इस चुनाव में नेहरू जी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था बेसक नेहरू फिर से प्रचंड बहुमत के साथ तीसरी बार प्रधानमंत्री बने थे,लेकिन जीत कर भी उनकी चमक फीकी पड़ने लगी थी.आजादी के बाद पहली बार भरष्टाचार के मुद्दे पर प्रमुख समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया पण्डित जवाहरलाल नेहरू के विरूद्ध चुनाव मैदान नें उतरे थे.उन्होंने इस चुनाव में कांग्रेस और नेहरू पर कई कड़े प्रहार किए थे .बेसक लोहिया जी नेहरू जी से 33 फीसदी कम वोट बटोर पाए,मगर भविष्य के लिए उन्होंने अपनी राजनीति की नींव मजबूत कर डाली थी.

कुछ स्मरणीय बिंदु:
आजादी के बाद भारत में तीसरा आम प0 जवाहरलाल नेहरू का अंतिम चुनाव बन गया.चुनाओं की कड़वी घुटन से वे उबर भी नहीं पाए थे कि अक्टूबर 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया.इतिहासकार कहते हैं कि इस चुनाव के बाद नेहरू का स्वास्थ्य गिरता गया और 27 मई 1964 को उनकी मृत्यु हो गयी.इस प्रकार देश ने एक लोकप्रिय नेता और देश का आधार स्तम्भ खो दिया.
[contact-form-7 id=”6″ title=”Contact form 1″]